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पाप का घड़ा


रामप्रसाद जब सुबह की सैर से लौट रहा था तभी उसे मंदिर के बूढ़े पुजारी हरीराम जी सामने से आते दिखाई दिए। गाँव का हर नेक और बुरा आदमी पुजारी जी को आदर भाव से देखता था। इसका कारण था उनका मिलनसार स्वभाव और मुसीबत के वक्त बगैर किसी स्वार्थ के मदद करने की आदत।

रामप्रसाद भी पुजारी जी के साथ मंदिर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में रामप्रसाद ने पुजारी जी से बड़ी ही व्याकुलता के साथ पूछा  "दादा राम राम ! कई दिनों से आपसे मुलाक़ात नहीं हुई, मैं कहीं बाहर गया था। दादा एक बात बता जब ईश्वर संसार के कण कण में समाया है, सभी जीवों के जीवन और मृत्यु को वो ही निश्चित करता है.... तो वो हर बार भले लोगों की ही परीक्षा क्यों लेता है ? , जब बुरे लोग मनमानी करते हैं तो ईश्वर क्यों मूक बनकर सिर्फ देखता रहता है?  ईश्वर बुरे लोगों को जीने का अधिकार ही क्यों देता है ?, उन्हे बुरे कर्मों का दंड सही वक्त पर क्यों नहीं मिलता......उनके पाप का घड़ा आख़िर भरता क्यों नहीं है......दादा, माफ़ कीजिए लेकिन मुझे नहीं लगता की आज के समय में पाप का घड़ा कभी भरता भी है।"

पुजारी जी ने शांत स्वभाव से जवाब दिया "देखो बेटा रामप्रसाद, तुमने एक साथ कई सवाल पूछ लिए हैं। मैं जितना जानता हूँ तुम्हे बताने की कोशिश करूँगा। तुम्हारे मन में जिस प्रकार के सवाल उठ रहे हैं, उन्हे गलत तो कतई नहीं कहा जा सकता, लेकिन सुनो, ईश्वर कभी किसी को मारने के पक्ष में नहीं होता। वो तो सृजन करता है, विनाश नहीं। वो बुरे लोगों को बार बार अवसर देता हैं जिससे वो नेक राह पर लौट सकें। नेक आदमी की परीक्षा वो जान बूझ कर लेता है ताकि उसकी नेकी और ईश्वर में आस्था की मजबूती का पता चल सके। यूं समझो की बुरे कर्म करने वालों का घड़ा बूंद बूंद करके भर रहा है। उसे भरने में जो वक्त लगता है उसे ईश्वर की अनदेखी न कहकर बुरे आदमी को सुधरने का दिया गया अवसर ही कहना चाहिए। बेटा रामप्रसाद !..........एक बात की चोटी में गाँठ बाँध ले की देर सवेर पाप का घड़ा भरता जरूर है। जिस दिन पाप का घड़ा भर जाता है, तब उसके एक एक बुरे कर्मों का हिसाब होता है और इसी जन्म में होता है। भरा हुआ घड़ा एक बूंद मात्र से भी छलक पडता है। जिस दिन तुम्हारी आस्था ईश्वर के प्रति पूर्ण रूप समर्पित हो जायेगी उस दिन तुम भी मानने लगोगे कि पाप का घड़ा एक दिन जरुर भरता है।"

पुजारी जी के जवाब से रामप्रसाद कुछ संतुष्ट नजर आ रहा था। दोनों आपस में बातें करते हुये मंदिर की ओर बढ़ गए।
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