तुमने बिरादरी के लिए क्या किया
रामप्रसाद जिस सरकारी कार्यालय में कार्यरत था, वहाँ कुछ पदों पर भर्ती होनी थी। रामप्रसाद के एक जानकार, जो की काफी वृद्ध थे और रामप्रसाद की बिरादरी के ही थे, एक रोज रामप्रसाद के घर आकर कहने लगे " देखो बेटा रामप्रसाद ! तुम तो जानते हो मेरी हालत। मेरा लड़का नौकरी के लिए न जाने कितने आवेदन कर चुका है.....मगर काम नहीं बनता। जहां भी जाओ वहाँ या तो जानकारी चाहिए या फिर पैसा......पैसा दें तो भी किसको। पिछली बार दलाल बीस हजार रुपए हड़प गया और काम भी नहीं हुआ। सुना है तुम जिस कार्यालय में काम करते हो, उसी कार्यालय में भर्ती होनी है। मुझे पता है की तुम्हारे अनुसार ये सही नहीं, लेकिन कुछ मेरी भी मजबूरी को समझो ! कोई न कोई तो लगना है और वो कौनसा साहूकार ही होगा। बस थोड़ी बहुत जानकारी निकलवा दो, लेने वाला पुख्ता हो तो समझो काम बन जाएगा।
"बाबा अगर मैं ये काम कर पाता तो शायद मैं भी मेरे घर के आस पास ही कहीं नौकरी कर रहा होता, यूं आए दिन मेरा तबादला ना होता। मैंने सरकारी नौकरी में यदि कुछ कमाया है तो वो हैं चेतावनी पत्र। माफ करना बाबा मैं आपके किसी काम का नहीं। " रामप्रसाद ने जवाब दिया।
"रामप्रसाद, तुम नहीं बताओगे तो कोई और बताएगा। बुरा मत मानना बेटा लेकिन थोड़ा सोचना की तुमने बिरादरी के लिए क्या किया..........खैर, कोई बात नहीं चलता हूँ।" वृद्ध सज्जन ने मायूस होकर कहा।
वृद्ध सज्जन के जाने के बाद घंटो तक रामप्रसाद स्वंय की उपयोगिता पर मनन करता रहा।
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2 comments
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