कहानी लघु कथा चिट्ठी अमित और सविता कि शादी वैसे तो एक दूसरे को देखने और सहमति से हुई थी मगर अभी एक साल भी नहीं बीता होगा की उनके रिश्ते की गा… 8:01 AM 0 Komentar
कहानी लघु कथा त्रिपाठी बाबू जी रेखा कई दिनों से महसूस कर रही थी कि विपिन के साथ सब कुछ ठीक नहीं था। पूछने पर विपिन उसे बातों ही बातों में टाल देता। आ… 7:53 PM 1 comment
लघु कथा तुम्हारी सविता ऑफिस से लौटने पर विपिन ने देखा कि सविता कमरे में नहीं थी। "माँ.....सविता कहा है? " "बेटा अब तुम्हे क्या बत… 4:37 AM 5 comments
लघु कथा धूल भरी जिंदगी ये कहानी है शंकर लाल की और उससे जुड़ी जिंदगी की। यूँ तो शंकर लाल दसवीं ही पास था मगर था बड़े ही सुलझे हुये विचारों का। मगर … 12:09 PM 6 comments
लघु कथा अपराधबोध नीरज कालेज में पढ़ता था। कोलेज़ की छुट्टियाँ हो चुकी थी। वो इस बार की छुट्टियाँ गाँव में ही बिताना चाहता था। गाँव जाने को … 11:36 AM 2 comments
लघु कथा शांति बाई शांति बाई का पति अब इस दुनिया में नहीं था। वो टेंपू चलाता था। एक रोज टेंपू पलटने से उसकी मौत हो गयी। शांति बारहवीं पास थी। … 4:03 AM 1 comment
लघु कथा साहब ! धरती तो मेरी माँ है रामप्रसाद सरकारी कार्यालय में लिपिक पद पर कार्यरत था। उसके सभी साथी पदोन्नति पा चुके थे मगर वो आज भी उसी पद पर था जिस पर वो… 10:26 AM 0 Komentar
लघु कथा दोनों हेलिकॉप्टर देखेंगे आज गाँव से शहर जाने वाली सड़क पर गंगाराम का टेंपू यूं दौड़े जा रहा था मानों बर्फ पर फिसल रहा हो। सड़क के सारे खड्डे रातों र… 9:01 PM 0 Komentar
लघु कथा तुमने बिरादरी के लिए क्या किया रामप्रसाद जिस सरकारी कार्यालय में कार्यरत था, वहाँ कुछ पदों पर भर्ती होनी थी। रामप्रसाद के एक जानकार, जो की काफी वृद्ध थे औ… 6:29 AM 2 comments
लघु कथा शास्त्री मास्टर पूरा गाँव शांतिनाथ शास्त्री को 'शास्त्री मास्टर' के नाम से पहचानता था। वे हैड मास्टर के पद से सेवानिवृत हुये थे। सव… 11:34 AM 0 Komentar
लघु कथा डाक्टर राजीव चतुर्वेदी, पीएचडी, अंग्रेजी साहित्य बात उस वक़्त की है जब रामप्रसाद अंग्रेजी साहित्य में एमए कर रहा था। एक रोज उसके मित्र ने बताया की एक प्रोफेसर साहब हैं जो क… 12:38 PM 0 Komentar
लघु कथा चाबी वाला बन्दर नीरज केंद्रीय सेवा में अध्यापक पद पर कार्यरत था। उसकी पत्नी, उषा भी अध्यापक ही थीं, मगर ओहदे में नीरज से एक पायदान ऊपर। दोन… 8:57 AM 1 comment
लघु कथा भगवान तुम्हें जिंदगी में खूब खुश रखेगा ये घटना है जब रामप्रसाद आठवीं कक्षा में पढ़ता था। रामप्रसाद अपने पिता के साथ शहर से गाँव लौट रहा था। बस में ज्यादा भीड़ तो … 6:48 AM 0 Komentar