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Article in : लघु कथा

चिट्ठी

चिट्ठी

अमित और सविता कि शादी वैसे तो एक दूसरे को देखने और सहमति से हुई थी मगर अभी एक साल भी नहीं बीता होगा की उनके रिश्ते की गा…
त्रिपाठी बाबू जी

त्रिपाठी बाबू जी

रेखा कई दिनों से महसूस कर रही थी कि विपिन के साथ सब कुछ ठीक नहीं था। पूछने पर विपिन उसे बातों ही बातों में टाल देता। आ…
तुम्हारी सविता

तुम्हारी सविता

ऑफिस से लौटने पर विपिन ने देखा कि सविता कमरे में नहीं थी। "माँ.....सविता कहा है? " "बेटा अब तुम्हे क्या बत…
धूल भरी जिंदगी

धूल भरी जिंदगी

ये कहानी है शंकर लाल की और उससे जुड़ी जिंदगी की। यूँ तो शंकर लाल दसवीं ही पास था मगर था बड़े ही सुलझे हुये विचारों का। मगर …
अपराधबोध

अपराधबोध

नीरज कालेज में पढ़ता था। कोलेज़ की छुट्टियाँ हो चुकी थी। वो इस बार की छुट्टियाँ गाँव में ही बिताना चाहता था। गाँव जाने को  …
शांति बाई

शांति बाई

शांति बाई का पति अब इस दुनिया में नहीं था। वो टेंपू चलाता था। एक रोज टेंपू पलटने से उसकी मौत हो गयी। शांति बारहवीं पास थी। …
साहब ! धरती तो मेरी माँ है

साहब ! धरती तो मेरी माँ है

रामप्रसाद सरकारी कार्यालय में लिपिक पद पर कार्यरत था। उसके सभी साथी पदोन्नति पा चुके थे मगर वो आज भी उसी पद पर था जिस पर वो…
दोनों हेलिकॉप्टर देखेंगे

दोनों हेलिकॉप्टर देखेंगे

आज गाँव से शहर जाने वाली सड़क पर गंगाराम का टेंपू यूं दौड़े जा रहा था मानों बर्फ पर फिसल रहा हो। सड़क के सारे खड्डे रातों र…
तुमने बिरादरी के लिए क्या किया

तुमने बिरादरी के लिए क्या किया

रामप्रसाद जिस सरकारी कार्यालय में कार्यरत था, वहाँ कुछ पदों पर भर्ती होनी थी। रामप्रसाद के एक जानकार, जो की काफी वृद्ध थे औ…
शास्त्री मास्टर

शास्त्री मास्टर

पूरा गाँव शांतिनाथ शास्त्री को 'शास्त्री मास्टर' के नाम से पहचानता था। वे हैड मास्टर के पद से सेवानिवृत हुये थे। सव…
डाक्टर राजीव चतुर्वेदी, पीएचडी, अंग्रेजी साहित्य

डाक्टर राजीव चतुर्वेदी, पीएचडी, अंग्रेजी साहित्य

बात उस वक़्त की है जब रामप्रसाद अंग्रेजी साहित्य में एमए कर रहा था। एक रोज उसके मित्र ने बताया की एक प्रोफेसर साहब हैं जो क…
चाबी वाला बन्दर

चाबी वाला बन्दर

नीरज केंद्रीय सेवा में अध्यापक पद पर कार्यरत था। उसकी पत्नी, उषा भी अध्यापक ही थीं, मगर ओहदे में नीरज से एक पायदान ऊपर। दोन…
भगवान तुम्हें जिंदगी में खूब खुश रखेगा

भगवान तुम्हें जिंदगी में खूब खुश रखेगा

ये घटना है जब रामप्रसाद आठवीं कक्षा में पढ़ता था। रामप्रसाद अपने पिता के साथ शहर से गाँव लौट रहा था। बस में ज्यादा भीड़ तो …